साथियो,
केंद्रीय सचिवालय राजभाषा सेवा समूह-क एसोसिएशन के अध्यक्ष आदरणीय श्री राकेश कुमारजी द्वारा दिनांक 15.06.2022 को त्यागपत्र दिए जाने के बाद आज दिनांक 27 जून,2022 को शास्त्री भवन में केन्द्रीय सचिवालय राजभाषा सेवा समूह ‘क’ के अधिकारियों की कार्यकारिणी की बैठक में कुछ एकतरफा निर्णय लिए जाने की सूचना है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, बैठक में आदरणीय श्री विनोद कुमार, उप-निदेशक को अध्यक्ष बनाया गया जो अब तक महासचिव पद पर थे। आदरणीय श्री राकेश मलिक को महासचिव बनाया गया जो पहले उपाध्यक्ष पद पर थे। इसके अलावा, कुछ अन्य पदाधिकारियों और सदस्यों को भी नामित किए जाने की सूचना है।
अध्यक्ष के रिक्त हुए पद पर अंतरिम रूप से कुछ दिनों (GBM की बैठक बुलाए जाने तक) के लिए किसी
पदाधिकारी का मनोनयन किए जाने की बात तो समझ में आती है, किंतु शीर्ष स्तर पर इतने बदलाव का निर्णय कार्यकारिणी की बैठक में लिया
जाना विधिसम्मत नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि वर्तमान एसोसिएशन के पदाधिकारी
कैडर को अपना साम्राज्य समझते हैं और अपने मनमाने तथा असंवैधानिक निर्णय पर कैडर
के सदस्यों की सहमति को ग्रांटेड मानते हैं।
इस घटना के बाद अधिकारी संवर्ग में काफी असंतोष था और कई सदस्यों ने
यह जानना चाहा था कि आखिर एसोसिएशन के पदाधिकारी सदस्यों की किसी भी जिज्ञासा का
प्रत्युत्तर क्यों नहीं दे रहे। एसोसिएशन के पदाधिकारी तब भी मौन साधे रहे।
इस बीच, एसोसिएशन
के साथियों में यह भावना जोर पकड़ रही थी कि चूंकि अधिकारी एसोसिएशन के पदाधिकारी
सदस्यों की भावनाओं के प्रति अन्यमनस्क है, अत: अब जीबीएम बुला कर एसोसिएसन का चुनाव कराए जाने की घोषणा किया
जाना ही उपयुक्त होगा। असंतोष को भांपते हुए कार्यकारिणी ने आनन-फानन में आज की बैठक बुलाई और संवर्ग के अधिकतर साथियों को अंधेरे में रखते हुए उन्हीं लोगों को एसोसिएशन में और ऊंची
जिम्मेदारी सौंपने का निर्णय लिया जिनसे एसोसिएशन के तमाम सक्रिय साथी पहले से
उकताये हुए थे।
उल्लेखनीय है कि पिछली एसोसिएशन का गठन भी रहस्यमय परिस्थितियों में, तत्कालीन महासचिव की सेवानिवृति से महज
एक दिन पहले हुआ था और उसमें शामिल किए गए कुछ सदस्य बाद में यहां तक कहते सुने
गये थे कि उन्हें एसोसिएशन में शामिल किए जाने की जानकारी फोन से दी गई थी और
शामिल करने से पूर्व उनसे सहमति नहीं ली गई थी।
अब वही चालबाजी इस बार भी की गई है और आम सभा की बैठक बुला कर
सर्वसम्मति से नेतृत्व का चयन करने की लोकतांत्रिक प्रक्रिया अपनाने की आवश्यकता
महसूस नहीं की गई। स्पष्ट है कि मौजूदा एसोसिएशन को अपने दरकते जनाधार का
पूर्वाभास था और सर्वसम्मति से चुने जाने के लिए आवश्यक आत्मविश्वास की कमी थी।
मित्रो, एक ऐसे समय में, जब संवर्ग में
कई मुद्दे लंबित हैं और उन्हें अमली जामा पहनाने के लिए एसोसिएशन को नई ऊर्जा से
भरपूर और सेवा संबंधी मुद्दों की समझ रखने वाले अधिकारी की आवश्यकता है, ऐसे में अनुभवहीन लोगों की दुबारा
ताजपोशी कैडर को गर्त में ले जाने का प्रयास साबित होगा।
यह भी गौरतलब है कि आज की बैठक वैसे तो कार्यकारिणी की थी, लेकिन इसमें चंद ऐसे लोगों को भी
व्यक्तिगत रूप से आमंत्रित किया गया था जिन्हें मौनियों की सहमति से एसोसिएशन में
शामिल किया जाना था ताकि इस बैठक का स्वरूप लोकतांत्रिक दिखे और राजभाषा विभाग को
सर्वसम्मति से एसोसिएशन के पुनर्गठन की औपचारिक सूचना दी जा सके।
इस कार्यशैली का पुरजोर विरोध किए जाने की आवश्यकता है। पुनर्गठित
समिति में एक-दो अधिकारी सेवा संबंधी मामलों की ठीक-ठाक समझ रखते हैं और वे खुले
चुनाव से भी चुन कर आने की क्षमता रखते हैं। किंतु, मौजूदा
एसोसिएशन को अधिकतर अधिकारियों का विश्वास प्राप्त नहीं है, अन्यथा उन्हें किसी खेल की आवश्यकता ही
न होती। इसलिए, सभी साथियों से
अनुरोध है कि इस घोर अलोकतांत्रिक, स्वेच्छाचारी और अमर्यादित कार्यप्रणाली के विरोधस्वरूप राजभाषा विभाग
के उच्चाधिकारियों से लिखित रूप में अपना प्रतिरोध दर्ज कराएं और शीघ्र GBM आयोजित करने/चुनाव की घोषणा करने की
मांग करें ताकि एसोसिएशन के पुनर्गठन का यह तरीका स्थायी पैटर्न न बन जाए।
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