* * उप-निदेशकों की पदोन्नति के लिए डीपीसी संपन्न। * दो तदर्थ निदेशक नियमित भी हुए। *वरिष्ठ अनुवाद अधिकारियों की पदोन्नति के लिए यूपीएससी में डीपीसी की बैठक अब किसी भी दिन।

शुक्रवार, 13 सितंबर 2019

हिंदी हैं हम

साथियो,

कल हिंदी दिवस है। हिंदी की शुचिता बनाए रखने में राजभाषाकर्मियों का योगदान अप्रतिम है। इस अर्थ में, यह दिवस हमारे काम का सम्मान भी है।

एसोसिएशन कृतज्ञ है कि इस अवसर पर विज्ञान भवन में होने जा रहे आयोजन के लिए आपमें से अधिकतर ने हमारे आग्रह का मान रखते हुए अपने अनुभाग के लिए मुख्यालय से पास प्राप्त कर लिए हैं। जो साथी किन्हीं कारणों से नहीं आ पाए, उनमें से अधिकतर को एसोसिएशन ने स्वयं उनके अनुभाग जाकर पास उपलब्ध करा दिए हैं। इस कार्य में अपने उपाध्यक्ष श्री अवनी कर्णजी, मनोज कुमार चौधरीजी (विदेश व्यापार महानिदेशालय), मुख्यालय में हमारे साथी इरफ़ान अहमद ख़ानजी, समीर वर्माजी (प्रवर्तन निदेशालय), विनय मिश्रजी (डीएवीपी), रजनीशजी (पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग) और पत्र सूचना कार्यालय में हमारे ऊर्जावान मित्र संदीप मलिकजी के अनन्य सहयोग के प्रति हम अत्यन्त आभारी हैं। जिन साथियों को अब भी पास न मिले हों, वे कृपया तत्काल राजभाषा विभाग से संपर्क करें। एसोसिएशन को भी उनके साथ सहयोग कर प्रसन्नता होगी।

पास की उपलब्धता सुनिश्चित कर राजभाषा विभाग और एसोसिएशन ने अपना दायित्व पूरा किया। अब बारी आपकी है।

यह बारी है इस आयोजन में मनोयोगपूर्वक सहभागिता की। मित्रो, इस बार का यह आयोजन कई संदर्भों में विशेष है। जैसे, यह पहला अवसर है जब श्री अमित शाहजी गृह मंत्री के तौर पर इस आयोजन में उपस्थित होंगे। वे हिंदी के ओजस्वी वक्ता हैं। अन्य विषयों पर हमने उन्हें सुना है, लेकिन हिंदी के संबंध में हिंदीकर्मियों के समक्ष यह उनका प्रथम उद्गार होगा। संभव है, माननीय गृहमंत्रीजी इस अद्वितीय अवसर का उपयोग किसी घोषणा के लिए करना चाहें। हमारी उत्कंठा इस बात को लेकर भी है कि वर्तमान सरकार में हिंदी के विस्तारित कार्य में हम हिंदीप्रेमियों के अवदान के प्रति माननीय गृहमंत्रीजी क्या कहते हैं। निश्चय ही, आप अपने मंत्रीजी की बात स्वयं उनके ही मुख से सुनना चाहेंगे।

जब गृहमंत्री के स्तर का व्यक्ति ऐसे किसी आयोजन में सम्मिलित हो,तो सत्ता के शिखरपुरुषों और मीडिया जगत का हिंदी के प्रति सहज ही ध्यानाकर्षण होता है। हिंदीसेवियों के जीवन में यह क्षण किसी आत्मिक उल्लास से कम नहीं। इससे हमारी गरिमा तो बढ़ती ही है,हम स्वयं को उत्तरोत्तर परिशुद्ध करने के प्रति भी प्रेरित होते हैं। 

दूसरी बात, यह आयोजन एक हिंदीकर्मी के रुप में हमारे लिए स्वयं के विस्तार का भी एक अवसर होता है। कार्यक्रम के दौरान आप सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों से प्रकाशित हिंदी पत्र-पत्रिकाओं से जुड़े लोगों को पुरस्कृत होता देखेंगे। बहुत संभव है, आपने इन पत्र-पत्रिकाओं में से अधिकतर के नाम भी न सुने हों। आपमें से कई साथी भविष्य में ऐसी पत्र-पत्रिकाओं के लिए लेखन से जुड़ सकते हैं। पिछली बार इस आयोजन के दौरान दो पैकेज लांच किए गए थे। हो सकता है, इस बार भी कोई ऐसी पहल हमारे सामने हो, जिसे हम भविष्य में अपने लिए उपयोगी पाएं। कौन जाने, अगली सुबह के दैनिक में ये बातें हों, न हों।

तीसरी बात, एक हिंदीसेवी के तौर पर हम हिंदी के क्षेत्र में हो रहे नूतन प्रयासों के प्रति भी जिज्ञासु रहें,यह समय की मांग है। हिंदी का दायरा उतना ही नहीं है, जितने में अब तक हम सिमटे हैं। संभव है, कल की भागीदारी से आपकी प्रच्छन्न साहित्यिकता को, भाषिक प्रतिभा को और अभिव्यक्तिगत प्रांजलता को कोई नई दिशा मिल जाए। कार्यक्रम में, आप हमारे अनुवादक साथी सतेंद्र दहियाजी के सुघड़ संचालन को कौशल विस्तार के ऐसे ही एक प्रयास के रुप में पाएंगे। विगत वर्ष वे टीवीजगत की सुपरिचित हस्ती ऋचा अनिरुद्धजी के साथ सह-संचालक थे। इस बार, वे सरला माहेश्वरीजी (वही, जिन्हें आपने दूरदर्शन पर वर्षों समाचारवाचन करते देखा है) के साथ होंगे।

भविष्य में, आप भी यह उत्तरदायित्व संभाल सकते हैं।

ध्यान रहे, जिसकी खिलावट जितने अधिक आयामों में होती है, वह उतनी ही समग्रता से विकसित हो पाता है। भविष्य में राजभाषा की प्रतिष्ठा भी वही बनाए रख पाएंगे, जो आज नएपन के प्रति उत्सुक हैं।

कल का आयोजन आपकी नवोन्मेषिता के लिए एक प्रस्थान-बिंदु हो सकता है।

यह हमारे अपने विभाग का, हमारी अपनी भाषा का सबसे बड़ा कार्यक्रम है। इसलिए भी पधारिए। अपने समवय और अग्रजों के साथ सहभागिता कर आप निश्चय ही ऊर्जस्वित और गर्वित अनुभव करेंगे।

जिंगालाला सैटरडे का क्या है, वह तो आता ही रहता है !

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