* * उप-निदेशकों की पदोन्नति के लिए डीपीसी संपन्न। * दो तदर्थ निदेशक नियमित भी हुए। *वरिष्ठ अनुवाद अधिकारियों की पदोन्नति के लिए यूपीएससी में डीपीसी की बैठक अब किसी भी दिन।

गुरुवार, 8 अगस्त 2019

प्रियदर्शिनी पदोन्नत; के.के. के काग़ज़ात कम

साथियो,

दो दिन पूर्व हमने आपको जानकारी दी थी कि वर्ष 2017-18 की रिक्ति के लिए जिन 40 जेटीओ की डीपीसी का आदेश 09 जुलाई,2019 को जारी हुआ है,उस सूची में दो और मित्रों के नाम जोड़े जाने हैं और इस प्रयोजनार्थ डीपीसी प्रस्तावित है। हम आपको अवगत कराना चाहेंगे कि इस डीपीसी में केवल एक कनिष्ठ अनुवाद अधिकारी- सुश्री निवेदिता प्रियदर्शिनी को पदोन्नत किया जा सका है क्योंकि एक अन्य प्रत्याशी श्री कृष्ण कुमार सिंह के दस्तावेज़ अब भी विभाग के पास उपलब्ध नहीं हैं। अतः, विभागीय समिति ने उनकी पदोन्नति के मामले को फिलहाल स्थगित रखने का निर्णय लिया है यानी 2017-18 की रिक्ति के एवज़ में पदोन्नति के लिए एक जेटीओ का स्थान अब भी रिक्त है। 

दस्तावेज़ पूरे होने पर ही अगली डीपीसी में श्री सिंह के नाम पर विचार किया जा सकेगा। एसोसिएशन ने श्री सिंह के मामले की जानकारी ली है। हमारा उनसे पुनः अनुरोध है कि वे कृपया अपनी पदोन्नति के मामले को गंभीरता से लें और विभाग को अपेक्षित दस्तावेज़ प्राथमिकतापूर्वक उपलब्ध कराएं। अन्यथा, विभाग उनकी रिक्ति का लाभ पदोन्नति क्रम में उनके बाद के साथी को देने के लिए बाध्य होगा।

बहरहाल, निवेदिता जी को बधाई। संबंधित कार्यालय आदेश जारी करने की प्रक्रिया चल रही है।


7 टिप्‍पणियां:

  1. shriman, priyadarshni ko to 2018 ki dpc list me darshaya gaya hai 27 june 2019 ke kaaryalay gyapan ke maadhyam se to unhe 2017 ki dpc mein kaise promote kiya ?
    kripya spasht karein .

    जवाब देंहटाएं
  2. निवेदिताजी का नाम 2017-18 की रिक्ति के एवज में भी पदोन्नति के लिए प्रस्तावित था। राजभाषा विभाग का दिनांक 10 जून,2019 का ज्ञापन देखिएः
    https://rajbhasha.gov.in/sites/default/files/order11062019.pdf

    जवाब देंहटाएं
  3. 2018 ki vacancy me kitne JTO ko pramote kiya jana h .Kitne JTO ki DPC hogi.

    जवाब देंहटाएं
  4. महोदय आपके ब्लॉग के माध्यम से मैं यह जानना चाहता हूँ कि क्या श्री के. के. सिंह जी के दस्तावेज़ नहीं मिलेंगे तो डीपीसी होगी ही नहीं और यदि पिछले कई वर्षों से उनका पदोन्नति हेतु नाम डालने के बाद भी उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं करने पर क्या राजभाषा विभाग को नहीं चाहिए कि उनका नाम अगली पदोन्नति प्रक्रिया में न डाला जाए जिससे अन्य साथियों का अहित न हो जो पदोन्नति की बाट जोह रहे हैं। क्या यह स्थिति हास्यास्पद नहीं है ??

    जवाब देंहटाएं
  5. अद्यतन सूचना देने के लिए आपका धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं

अपनी पहचान सार्वजनिक कर की गई आलोचना का स्वागत है। किंतु, स्वयं छद्म रहकर दूसरों की ज़िम्मेदारी तय करने वालों की और विषयेतर टिप्पणियां स्वीकार नहीं की जाएंगी।