* * उप-निदेशकों की पदोन्नति के लिए डीपीसी संपन्न। * दो तदर्थ निदेशक नियमित भी हुए। *वरिष्ठ अनुवाद अधिकारियों की पदोन्नति के लिए यूपीएससी में डीपीसी की बैठक अब किसी भी दिन।

मंगलवार, 12 फ़रवरी 2019

भर्ती नियमः संशोधन पर टिप्पणी के लिए केवल दो दिन शेष,अनुवाद अधिकारी एकजुट हों

मित्रो,

राजभाषा विभाग ने दिनांक 14 जनवरी,2019 के ज्ञापन द्वारा भर्ती नियम में प्रस्तावित संशोधन पर टिप्पणियां आमंत्रित की थीं। यह टिप्पणी विभाग को एक माह के भीतर यानी 14 फरवरी,2019 तक उपलब्ध कराई जानी है किंतु अभी तक विभाग को बहुत कम लोगों की टिप्पणियां प्राप्त हुई हैं।

प्रस्तावित संशोधन इस संवर्ग के हित में है क्योंकि इससे उप-निदेशक के खाली पदों को भरने का रास्ता साफ होगा और वर्षों से पदोन्नति की बाट जोह रहे अनुवादक साथी भी अधिकारी बन सकेंगे।

उल्लेखनीय है कि जितनी अधिक संख्या में विभाग को सहमति प्राप्त होगी,विभाग के लिए संशोधन पर अनुकूल पहल करना उतना आसान होगा। अतः, ख़ासकर प्रत्येक अनुवाद अधिकारी अपनी सहमति से विभाग को अवगत कराना सुनिश्चित करें। ध्यान रहे, इस संबंध में किसी बहकावे में आने से उनके पदोन्नति अवसरों को अपूरणीय क्षति होने की आशंका है। 

सभी साथी कृपया शीघ्रता करें और एक ही साथ अपने अनुभाग के सभी सहकर्मियों की सहमति लेकर विभाग को 14 फरवरी तक उपलब्ध करा दें ताकि आगे की कार्रवाई हो सके। 

आपकी सुविधा के लिए एक प्रारुप नीचे दिया जा रहा हैः

दिनांक :  फरवरी, 2019

सेवामें
अवर सचिव (सेवा)
राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय
एनडीसीसी-।। बिल्डिंग, जय सिंह रोड
नई दिल्ली

विषय : भर्ती नियम में संशोधन पर संवर्गकर्मियों के सुझाव के संबंध में।

महोदय,
इस विश्वास के साथ कि राजभाषा विभाग के दिनांक 14 जनवरी, 2019 के कार्यालय ज्ञापन संख्या 1/1/2016-रा.भा./सेवा के संदर्भ में भर्ती नियम में प्रस्तावित संशोधनों से संवर्ग में लगभग एक दशक से सहायक निदेशक के पद पर जारी गतिरोध समाप्त होगा और वे उप-निदेशक रुप में पदोन्नत हो सकेंगे तथा इतनी ही संख्या में वरिष्ठ अनुवाद अधिकारी के सहायक निदेशक के तौर पर और कनिष्ठ अनुवाद अधिकारी के वरिष्ठ अनुवाद अधिकारी के रुप में पदोन्नत होने का रास्ता साफ होगा,,मैं एतदद्वारा उक्त संशोधन के संबंध में अपनी सहमति प्रकट करता हूं और इस पहल के लिए विभाग का धन्यवाद एवं आभार प्रकट करता हूं।।

भवदीय
नामः
पदनामः(कृपया नया पदनाम लिखें)
मंत्रालय/विभागः

5 टिप्‍पणियां:

  1. सेवा में,
    अवर सचिव(सेवा)
    राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय,
    एनडीसीसी-II, भवन,
    जय सिंह रोड, नई दिल्ली

    विषय: भर्ती नियम में संशोधन के संबंध में सुझाव।

    महोदय,

    राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय द्वारा उपरोक्त विषय पर मांगे गए सुझाव के संदर्भ में उल्लेखनीय है कि राजभाषा विभाग के केंद्रीय सचिवालय राजभाषा सेवा संवर्ग से संबन्धित सभी अधिकारी/कर्मचारी मूलत: अनुवाद से संबन्धित कार्यों का निष्पादन करते हैं। आमतौर पर किसी भी मंत्रालय/विभाग में सहायक निदेशक(राजभाषा) या किसी अन्य राजभाषा अधिकारी से पुनरीक्षित होकर अनुवाद कार्य का अंतिम निपटान होता है।

    2. राजभाषा संवर्ग मूलत: अनुवाद आधारित है इसलिए संवर्ग के कनिष्ठ अनुवादक की भर्ती के लिए न्यूनतम अर्हता मास्टर डिग्री (हिन्दी या अँग्रेजी) के साथ अनुवाद में डिप्लोमा या अनुवाद में अनुभव रखा गया है। परंतु सहायक निदेशक की सीधी भर्ती के लिए संभवत: अनुवाद को गौण रखते हुए, अनुवाद के अनुभव को प्राथमिकता नहीं दी गई है। और हिन्दी एवं अँग्रेजी में अध्यापन या उनमें अनुसंधान का अनुभव रखने वालों को भी चयन के लिए स्थान दिया गया है, जोकि तर्क संगत प्रतीत नहीं होता। चूंकि, अंतिम रूप से अनुवाद का निपटान/पुनरीक्षा सहायक निदेशक के स्तर पर किया जाता है, स्तरीय पुनरीक्षा के लिए सहायक निदेशक को अनुवाद का अनुभव होना अवश्यंभावी है। इसलिए सहायक निदेशक की सीधी भर्ती के लिए हिन्दी एवं अँग्रेजी के अध्यापन या अनुसंधान के अनुभव को हटा दिया जाना चाहिए, क्योंकि अनुवाद की तुलना अध्यापन या अनुसंधान से नहीं किया जा सकता। यदि यह तर्क संगत है तो कनिष्ठ अनुवादकों की सीधी भर्ती के लिए निर्धारित अर्हता में भी डिप्लोमा या अनुवाद का अनुभव के साथ अध्यापन या अनुसंधान का विकल्प दिया जा सकता है। मूलत: सहायक निदेशक की सीधी भर्ती के लिए निर्धारित मानदंड एवं अर्हता कनिष्ठ अनुवादक जैसे ही होने चाहिए।

    3. सहायक निदेशकों की सीधी भर्ती के लिए राजभाषा संवर्ग के कर्मचारियों हेतु अतिरिक्त 05 वर्ष की आयु सीमा भी बढ़ाई (45 वर्ष तक) जानी चाहिए। सुझाव कृपया राजभाषा विभाग के विचारार्थ प्रस्तुत है।
    सादर,
    (प्रेमचंद सिंह यादव)
    व.अनुवादक

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  2. राजभाषा काडर में अधिकारियों के सभी पद शीघ्र ही समाप्त होंगे
    राजभाषा काडर में कार्यरत हमारे कुछ साथी अपने सभी प्रयासों (साम, दाम दंड, भेद) से इस काडर का सत्यानाश करने पर तुले हुए हैं। उनका एकमात्र नारा है – “मैं/हम नहीं, तो कोई नहीं”। काडर में जब भी कोई प्रमोशन की या भर्ती नियमों में सकारात्मक संशोधन के लिए फाइल चलती है तो कोई भी साथी कुछ लिखकर राजभाषा विभाग में दे देता है या कोर्ट में केस फाइल कर देता है, जिससे कि काफी महीने तक फाइल रुक जाती है।
    अभी हाल ही में, जब सहायक निदेशक से उप निदेशक के पद पर प्रोन्नति के लिए कुछ कार्रवाई शुरु हुई तो कुछ साथियों ने कैच-अप रूल के लिए कोर्ट में केस फाइल कर दिया है। इससे ऐसा होगा (100% गारंटी से) कि दो-तीन साल तक कैट में केस चलेगा। इसके बाद जो पार्टी हारेगी, वह हाई कोर्ट में जाएगी। वहां दो-तीन साल केस चलेगा। इसके बाद यहां जो पार्टी हारेगी, वह उच्चतम न्यायालय भी जाएगी। वहां भी दो साल केस चलेगा। इससे किसी को भी प्रमोशन नहीं मिलेगा, सभी सहायक निदेशक बिना प्रमोशन के ही रिटायर हो जाएंगे। इसके अलावा, कुछ सालों में ही काडर में उप निदेशक पद के साथ-साथ संयुक्त निदेशक और निदेशक के सभी पद भी रिक्त हो जाएंगे।
    हमारे काडर में कुछ ज्यादा ही पढे-लिखे लोग हैं, तभी तो वे जाति-धर्म की राजनीति पर उतारू हो गए हैं। उन्हें देश की राजनीति में अवश्य ही भाग लेना चाहिए, वहां उनकी सफलता निश्चित है। भारत सरकार के किसी भी काडर में कैच-अप रूल लागू नहीं है, पर कुछ ज्यादा ही होशियार साथी (सभी जानते हैं वे कौन हैं) यह नहीं जानते कि दूसरे का बुरा करने पर उनका भी निश्चित बुरा ही होगा।
    ईश्वर उनको सद्बुद्धि दे, जिससे राजभाषा काडर का सत्यानाश होने से बच जाए।

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  3. एसोसिएशन पूरी तन्मयता से अनुवादकों के हितों के लिए कार्यरत है ! समस्त साथी पूरा सहयोग दें ! तभी विजय होगी ! एसोसिएशन किसी ‌‌‌‌ एक के लाभ के लिए नहीं ! लाभ ‌‌‌‌सभी का होगा ! अतः सहयोग अपेक्षित है! सादर ‌‌‌डा विजय शर्मा

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  4. महोदय यह बताने का श्रम करें कि JHT की 4600 ग्रेड पे के मामले मे कोई अपडेट है या उसे भी भूलना ही बेहतर होगा....

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    1. कनिष्ठ अनुवादक किसी अवधि में सहायक या किसी अन्य पद के समतुल्य थे और उनकी शैक्षिक अर्हता अन्य पदों से उच्चतर है आदि के आधार पर कनिष्ठ अनुवाद अधिकारी को पुनः सहायक के बराबर ग्रेड-वेतन दिए जाने की दलील को अदालत खारिज कर चुकी है। हर पद की अपेक्षाएं अलग-अलग होती हैं,इसलिए अदालत किसी अन्य पद के साथ अनुवादकों की तुलना को स्वीकार नहीं करती।
      अगर किसी केंद्रीय कार्यालय (पीएसयू/संगठन आदि नहीं) में कनिष्ठों को 4600 रूपए का वेतनमान मिला है और वह अब तक अविवादित हो, तो उसे हम अपना आधार बना सकते हैं।
      हमारे पास इस संबंध में कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज़ हैं जिनके आधार पर हम विभागीय विकल्पों के काम न आने की स्थिति में न्यायालय का रुख करेंगे।

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