* *डीओपीटी ने 3 वर्ष की सेवा पूरी कर चुके उप-निदेशकों को संयुक्त निदेशक के रुप में पदोन्नति देने और 4 वर्ष से अधिक की नियमित सेवा पूरी कर चुके 7 वरिष्ठतम सहायक निदेशकों को उप-निदेशक बनाए जाने के लिए छूट के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी। एसोसिएशन ने पिछले दिनों इस सिलसिले में डीओपीटी की सचिव से मुलाक़ात की थी। * एसोसिएसन ने शेष सहायक निदेशकों की पदोन्नति के मामले को भी निर्णायक सफलता मिलने तक डीओपीटी के समक्ष उठाते रहने का भरोसा दिलाया।

शुक्रवार, 27 सितंबर 2019

अबकी बार, बेड़ा पार !

साथियो,

राजभाषा विभाग ने दिनांक 19 अगस्त के ज्ञापन के क्रम में, वर्ष 2015 में नियमित किए गए 64 सहायक निदेशकों को उप-निदेशकों के रुप में पदोन्नति के लिए दस्तावेज़ उपलब्ध कराने हेतु ज्ञापन जारी किया था। काग़ज़ात मिलने की अंतिम तारीख़ 30 अगस्त,2019 थी किंतु अंतिम सतर्कता निकासी प्रमाणपत्र विभाग को 01 सितम्बर को अपराह्न में प्राप्त हुआ। इसके बाद सचिव महोदया ने विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक 11 सितंबर की शाम आयोजित करना निश्चित किया। एसोसिएशन को यह सूचित करते हुए अत्यन्त प्रसन्नता है कि इस बैठक के अनुसरण में, आज सहायक निदेशकों की पदोन्नति का आदेश भी जारी हो गया हैः

http://rajbhasha.gov.in/sites/default/files/sewa27sept19_0.pdf

यह वह आदेश है जिसकी चर्चा संवर्ग में लम्बे समय तक बनी रहेगी। इस ओर पहले ही एकाधिक बार ध्यानाकर्षण किया जा चुका है कि उप-निदेशक के रुप में पदोन्नति के लिए बतौर सहायक निदेशक पांच वर्ष की नियमित सेवा का नियम है। इस दृष्टि से, सभी 64 सहायक निदेशकगण 01 जनवरी,2021 से नियमित पदोन्नति के पात्र होते। स्पष्ट है कि इन सबको न्यूनतम लगभग एक वर्ष का लाभ मिला है। यह पदोन्नति इस अर्थ में तो विशेष महत्व की है ही कि इससे सहायक निदेशक के स्तर पर बरसों से जारी गतिरोध समाप्त हुआ है, इसलिए भी अहम है कि पदोन्नति ऐसे समय में हुई है जब स्वयं सहायक निदेशकों ने ही इसकी आस छोड़ दी थी। जिन सहायक निदेशकों की सेवानिवृत्ति क़रीब है,उनके लिए यह आदेश किसी संजीवनी से कम नहीं। अनुवाद अधिकारी एसोसिएशन के लिए भी यह पदोन्नति प्रतिष्ठा का विषय बनी हुई थी क्योंकि ऊपर के स्तरों पर पदोन्नति अनुवाद अधिकारियों की पदोन्नति सीधे तौर पर जुड़ी होती है। इस पदोन्नति से उन वरिष्ठ अनुवाद अधिकारियों के लिए भी द्वार खुले हैं जिनकी पदोन्नति की अगले कुछ वर्षों तक अन्यथा कोई संभावना न थी। वरिष्ठ अनुवाद अधिकारियों की पदोन्नति के साथ ही, कनिष्ठ साथियों की पदोन्नति का रास्ता भी स्वतः बनता जाएगा। इसकी प्रक्रिया शुरु भी हो गई है और संक्षिप्त समाचार में आप देख रहे होंगे कि अगले सप्ताह जेटीओ की डीपीसी (रिक्ति वर्ष 2018) होनी है.

पदोन्नति की इस पूरी मुहिम में राजभाषा विभाग के साथ एसोसिएशन ने लगातार तालमेल बिठाए रखा जिसकी झलक आपको पिछली पोस्टों से मिली होगी। एसोसिएशन के लिए भी यह प्रसन्नता और गर्व का विषय रहा कि तमाम सहायक निदेशकों ने हम पर विश्वास किया और हमारे साथ भरपूर सहयोग किया। जिस भी सहयोग की हमने अपेक्षा की, उसके प्रति वे पूरे मनोयोग से तत्पर मिले। कई सहायक निदेशक दस्तावेज़ों की स्थिति को लेकर एसोसिएशन के सीधे संपर्क में रहे जिसके कारण राजभाषा विभाग के प्रशासन के साथ बेहतर समन्वय हो सका।

तदर्थ सही, किंतु इस पदोन्नति का होना ही स्वयं में एक बड़ी सफलता है क्योंकि इससे 64 कार्यालयों में उप-निदेशकों के पद तत्काल भरने जा रहे हैं। इससे सहायक निदेशकों और संयुक्त निदेशकों/निदेशकों के स्तर पर राजभाषिक कार्यों का निर्वहन भी अधिक व्यवस्थित होने का अनुमान है। ज्ञातव्य है कि उप-निदेशक के सारे पद रिक्त पड़े हैं।

एसोसिएशन इस बात के लिए भी प्रयासरत है कि सारी पदोन्नतियां शीघ्र ही नियमित हो जाएं।

ब्लॉग पर संक्षिप्त समाचार वाली चलंत पट्टिका में आपने यह सूचना देखी होगी कि 2018 में नियमित हुए सहायक निदेशकों ने भी इस पदोन्नति में शामिल किए जाने का आग्रह राजभाषा विभाग से किया था। विभाग  इन सब पर देर-सवेर जो भी निर्णय लेगा, हम आपको अवगत कराएंगे। हम शेष सभी सहायक निदेशकों की पदोन्नति के लिए उन्हें पात्र बनाने के हरसंभव प्रयास में जुटे हैं। श्री प्रताप सिंह मामले में कैट के अनुकूल निर्णय से भी उनकी/हमारी पहल को बल मिल सकता है।

फिलहाल, समस्त पदोन्नत सहायक निदेशकों के प्रति आभार। एक बेहतर कल के लिए उन्हें बधाई और शुभकामनाएं। संवर्ग के लिए यह सामूहिक उल्लास का क्षण है क्योंकि इस उन्नयन में सभी स्तरों का कल्याण अंतर्निहित है। हम अपेक्षा रखते हैं कि सभी पदोन्नत सहायक निदेशकगण आगे भी सहयोग बनाए रखेंगे और शीघ्र ही पदोन्नत होने जा रहे वरिष्ठ अनुवाद अधिकारियों को उनके अनुभव का लाभ मिलेगा।

इस यज्ञ में मन-प्राण से आहुति देने वाले उप-सचिव श्री बी.एल. मीनाजी और संयुक्त सचिव श्री जे.पी. अग्रवालजी के अनुग्रह के प्रति एसोसिएशन चिरकृतज्ञ रहेगा। काम तो सब नियमानुसार ही होते हैं, लेकिन भावदशा किसी परिस्थिति में क्या फर्क ला सकती है, यह हमने उनके कार्यकाल में देखा। 

बताते चलें कि सहायक निदेशकों की पदोन्नति में ठहराव की स्थिति समाप्त करने को लेकर एसोसिएशन ने कई अन्य स्तरों पर भी कुछ ऐसे प्रयास भी किए थे जिन्हें हमने अब तक आपसे साझा नहीं किया है। लेकिन अब, जबकि सर्वाधिक महत्वपूर्ण संकल्प सिद्धि हो गई है, हमें इसे आपसे साझा करते हुए प्रसन्नता होगी।

3 टिप्‍पणियां:

  1. केंसरासेए एवं राजभाषा विभाग के उच्च अधिकारियों को उनके इस अथक एवं अविस्मरणीय प्रयास के लिए बहुत बहुत बधाई ।

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  2. एसोसिएशन द्वारा किया गया प्रयास सराहनीय है परंतु बड़ा खेद है कि एसोसिएशन ने प्रत्यावर्तित सहायक निदेशकों और वर्ष 2018 के लिय रिक्ति के लिय वरिष्ठ अनुवादकों की फाइल में यूपीएससी से डीपीसी के लिए तारीख लेने के लिए एसोसिएशन द्वारा कोई गंभीर प्रयास नहीं किए हुए प्रतीत हो रहे हैं। यदि एसोसिएशन द्वारा कोई ठोस प्रयास किया गया हो तो बताएं। अनुवादक एसोसिएशन से अपेक्षा की जाती है कि यह अनुवादकों का भला करे। इतने वर्षों के बाद भी अनुवादक एसोसिएशन के चुनाव के बारे में कोई चर्चा नही हो रही है।

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    1. You mentioned only one vacancy year 2018. DPC for 2 vacancy years 2017-18 & 2018 is to b conducted.
      Association has visited UPSC thrice to request the officer concerned to fix an early date for DPC. There were several queries from UPSC. We have contributed in giving suitable replies. Recently we sought an appointment with Secretary UPSC. We have been regularly arranging OL officer 's visit to UPSC. This all has led to the progression of file. Now the file has moved ahead.
      No one can discredit us for bringing the case these STOs to the level of DPC for promotion. Delay is only due to reversion case.
      Knowing well that without their promotions cadre will not move forward how can we sit idle.
      Be sure election will b held.

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