* *डीओपीटी ने 3 वर्ष की सेवा पूरी कर चुके उप-निदेशकों को संयुक्त निदेशक के रुप में पदोन्नति देने और 4 वर्ष से अधिक की नियमित सेवा पूरी कर चुके 7 वरिष्ठतम सहायक निदेशकों को उप-निदेशक बनाए जाने के लिए छूट के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी। एसोसिएशन ने पिछले दिनों इस सिलसिले में डीओपीटी की सचिव से मुलाक़ात की थी। * एसोसिएसन ने शेष सहायक निदेशकों की पदोन्नति के मामले को भी निर्णायक सफलता मिलने तक डीओपीटी के समक्ष उठाते रहने का भरोसा दिलाया।

सोमवार, 23 सितंबर 2013

कैट में सुनवाई की तारीख 13 नवम्बर निर्धारित

जैसा कि पूर्व में सूचित किया गया था,सहायकों के साथ कनिष्ठ अनुवादकों की पैरिटी से जुड़े 1986 वाले मामले की कैट में सुनवाई 20 सितम्बर,2013 को निर्धारित की गई थी। 20 सितम्बर को यह सुनवाई नहीं हो सकी और सुनवाई की अगली तारीख़ 13 नवम्बर,2013 निर्धारित की गई है।

5 टिप्‍पणियां:

  1. महोदय,

    इस संदर्भ में पुन: सविनय अनुरोध करता हूं कि कोर्ट केस से यह समस्‍या हल नहीं होगी सरकार के पास हिंदी अनुवादकों को दबाने के लिए बहुत से हथि‍यार हैं अत: राजनेताओं से एसोशियेशन के संपर्क के बाद ही संबंधित विभाग उचित कार्राई कर सकता है ।

    सादर सहित
    डा विजय शर्मा

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  2. महोदय,

    इस संदर्भ में पुन: सविनय अनुरोध करता हूं कि कोर्ट केस से यह समस्‍या हल नहीं होगी सरकार के पास हिंदी अनुवादकों को दबाने के लिए बहुत से हथि‍यार हैं अत: राजनेताओं से एसोशियेशन के संपर्क के बाद ही संबंधित विभाग उचित कार्राई कर सकता है ।

    सादर सहित
    डा विजय शर्मा

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  3. उपर्युक्‍त कथन से मैं सहमत हूं । प्राय: देखा जाता है कि कैट एवं उच्‍चतम न्‍यायालय से निर्णय मिलने के बाद भी इसकी उपेक्षा कर दी जाती है । ऐसे मामलों में हमें राजनेताओं तथा उससे संबंधित अधिकारी से हमारा संपर्क या सिफारिश नहीं होती तब तक इस पर गौर नहीं किया जा सकता है । इसलिए हम अधिकारी से अनुरोध है कि न्‍यायालय के निर्णय के पहले इस मामले में मंत्रालय से एप्रोच एवं सिफारिशकी जानी चाहिए ।

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  4. उपर्युक्‍त कथन से मैं सहमत हूं । प्राय: देखा जाता है कि कैट एवं उच्‍चतम न्‍यायालय से निर्णय मिलने के बाद भी इसकी उपेक्षा कर दी जाती है । ऐसे मामलों में हमें राजनेताओं तथा उससे संबंधित अधिकारी से हमारा संपर्क या सिफारिश नहीं होती तब तक इस पर गौर नहीं किया जा सकता है । इसलिए हम अधिकारी से अनुरोध है कि न्‍यायालय के निर्णय के पहले इस मामले में मंत्रालय से एप्रोच एवं सिफारिशकी जानी चाहिए ।

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  5. उपर्युक्‍त कथन से मैं सहमत हूं । इस मामले में हमें मंत्रालय एवं उच्‍चप्राधिकारियों की सिफारिश एवं एप्रोच लगाना चाहिए । अन्‍यथा केस जीत कर भी कुछ हासिल नहीं कर पायेंग ।

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