tag:blogger.com,1999:blog-3329158154167683958.post3592204362108655570..comments2023-07-09T21:19:37.732+05:30Comments on केंद्रीय सचिवालय राजभाषा सेवा एसोसिएशन: अधिवक्ता की पारिवारिक विवशता के कारण सुनवाई टलीकेंसरासेअएhttp://www.blogger.com/profile/16352592398748621555noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-3329158154167683958.post-67256510715354711942013-12-01T21:50:35.001+05:302013-12-01T21:50:35.001+05:3029.11.2013 को क्या सुनवाई हुई? यदि हाँ तो कार्यवाह...29.11.2013 को क्या सुनवाई हुई? यदि हाँ तो कार्यवाही के बारे में बताने की कृपा करें।<br /><br /> डा विजय शर्माडॉक्टर. विजय. शर्माhttps://www.blogger.com/profile/14169606209225095715noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3329158154167683958.post-82133451779489878892013-12-01T06:51:03.543+05:302013-12-01T06:51:03.543+05:3029.11.2013 को क्या सुनवाई हुई? यदि हाँ तो कार्यवाह...29.11.2013 को क्या सुनवाई हुई? यदि हाँ तो कार्यवाही के बारे में बताने की कृपा करें।S N Kashikarhttps://www.blogger.com/profile/08081062805040770522noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3329158154167683958.post-76310314472642904042013-11-30T23:28:01.934+05:302013-11-30T23:28:01.934+05:30बंधुवर
सस्नेह प्रणाम
1986 वाले मामले में एक और त...बंधुवर<br />सस्नेह प्रणाम <br /><br />1986 वाले मामले में एक और तारीख मिल गई है। जो आशंका थी, वहीं हुआ। निश्चित ही 1986 वाले मामले में संगठन का पक्ष मजबूत है। इसे देखते हुए यह उम्मीद करना स्वाभाविक है कि इस मामले में संगठन के पक्ष में फैसला होगा। लेकिन इस मामले के लंबा खींचने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। ट्रीबुनल के बाद उच्च न्यायालय और फिर उच्चतम न्यायालय। तब तक संभवतया इस आदेश से लाभान्वित होने वाले सभी अधिकारी सेवानिवृत हो चुके होंगे। अनाधिकार चेष्टा के लिए क्षमा करें, चूंकि मैं आपके संगठन का सदस्य नहीं हूँ, मुझे कोई अधिकार नहीं है कि मैं संगठन के नीतिगत मामलों पर कोई टिप्पणी दूँ। लेकिन अब चूंकि छठे वेतन आयोग के बाद की परिस्थितियों में संगठन की सफलता और असफलता का बराबर प्रभाव अधीनस्थ कार्यालयों के अनुवादक पर भी प्रभाव पड़ेगा। इसलिए सभी अनुवादकों के हित में मेरा आपसे अनुरोध है कि टी. पी. लीना के केस के आधार पर मामला दाखिल न कर, आप स्वयं को और अपने साथियों को 01.01.2006 से मिलने वाले लाभों से वंचित कर रहे है। टी. पी. लीना वाले मामले में 4600 को लेकर थोड़ा बहुत जो संशय था, वह भी अब दूर हो गया है। अनेक कार्यालयों में व्यय विभाग के 4600 के कार्यालय ज्ञापन को सही रूप में समझकर तथा उच्चतम न्यायालय के फैसले के आधार पर कहिअ को 4600 लागू भी कर दिया गया है। जब कोई न्यायालयीन फैसला final हो जाता है तो उस आधार पर डाले गए मामलों के निराकरण में अधिक समय नहीं लगता है। अत: मेरा यह सुझाव है कि 1986 वाले मामले को आप धैर्यपूर्वक लड़ सकते है। लेकिन 2006 वाला मामला आपके हाथ में आया हुआ लड्डू जिसे पहले वाले के चक्कर में खोना नहीं चाहिए या बासी नहीं होने देना चाहिए। आप स्वयं से प्रश्न करे, जिस संगठन के आप पदाधिकारी है उनमें से कितने सदस्यों को इससे लाभ होगा। मैं जो समझ रहा हूँ उसके अनुसार 1992 या उससे पहले के अनुवादक ही इससे लाभान्वित होंगे। दूसरी ओर, 2006 वाला मामला है, जिसके लिए केवल आपको हाथ बढ़ाने की जरूरत है कि आपका वह प्रत्येक सदस्य लाभान्वित होगा जिन्होने आपके कंधों पर बड़ी उम्मीदों से निम्मेदारी सौपी है। आप आत्मअवलोकन करें और स्वयं सोचे कि आप किनके प्रति जवाबदेह है। भूतपूर्व सदस्यों या वर्तमान सदस्यों के प्रति। आज संगठन द्वारा 2006 का मामला हाथ में ले लेने से बहुत जल्द कहिअ के पद हेतु 4600 का वेतनमान लागू हो जाएगा अन्यथा यहाँ-वहाँ कुछ अनुवादकों को न्यायालयीन फैसलों के आधार पर 4600 तो मिल जाएगा, लेकिन आधिकारिक रूप से 4200 हि रहेगा तथा आगे चलकर इससे सातवें वेतन आयोग पर भी असर होगा। अत: आपसे अनुरोध है कि इस मामले में आप दुविधा/भ्रम/हठ छोडकर इस मामले को संगठन के बैनर तले लड़े। आपका 1986 वाला मामला आप साथ-साथ लड़ सकते है, 2006 वाले मामले में आपके पक्ष में फैसला आने (ऐसा न होने का कोई कारण नहीं है) पर इसका सकारात्मक असर आपके 1986 वाले मामले पर होगा। आशा है आप संगठन के नेता होने के नाते अपने सदस्यों के हित में सूझ-बुझ से निर्णय लेंगे। अपने इस कमेंट को आपके ब्लॉग पर पढ़कर मुझे आश्चर्यमिश्रित प्रसन्नता होगी।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/18170321936529603037noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3329158154167683958.post-44127637077291898462013-11-15T20:24:50.653+05:302013-11-15T20:24:50.653+05:30आदरणीय दिनेश सिंह जी
सादर नमस्कार
इस बार की मजब...आदरणीय दिनेश सिंह जी<br /><br />सादर नमस्कार<br /><br />इस बार की मजबूरी यानिकि 13 नवम्बर 2013 की स्थिति को समझते हुए 28 नवम्बर 2013 को आपको विजयी होने की कमाना करते हैं । आशा है कि अधिवक्ता जी का बेटा भी स्वस्थ हो गया होगा डा विजय शर्मा डॉक्टर. विजय. शर्माhttps://www.blogger.com/profile/14169606209225095715noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3329158154167683958.post-83094043191990820392013-11-15T20:24:29.711+05:302013-11-15T20:24:29.711+05:30आदरणीय दिनेश सिंह जी
सादर नमस्कार
इस बार की मजब...आदरणीय दिनेश सिंह जी<br /><br />सादर नमस्कार<br /><br />इस बार की मजबूरी यानिकि 13 नवम्बर 2013 की स्थिति को समझते हुए 28 नवम्बर 2013 को आपको विजयी होने की कमाना करते हैं । आशा है कि अधिवक्ता जी का बेटा भी स्वस्थ हो गया होगा डा विजय शर्मा डॉक्टर. विजय. शर्माhttps://www.blogger.com/profile/14169606209225095715noreply@blogger.com