* *डीओपीटी ने 3 वर्ष की सेवा पूरी कर चुके उप-निदेशकों को संयुक्त निदेशक के रुप में पदोन्नति देने और 4 वर्ष से अधिक की नियमित सेवा पूरी कर चुके 7 वरिष्ठतम सहायक निदेशकों को उप-निदेशक बनाए जाने के लिए छूट के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी। एसोसिएशन ने पिछले दिनों इस सिलसिले में डीओपीटी की सचिव से मुलाक़ात की थी। * एसोसिएसन ने शेष सहायक निदेशकों की पदोन्नति के मामले को भी निर्णायक सफलता मिलने तक डीओपीटी के समक्ष उठाते रहने का भरोसा दिलाया।

शुक्रवार, 16 मार्च 2018

तदर्थ सहायक निदेशकों के रिवर्सन के विरुद्ध कार्रवाई तेज़

साथियो, 

आप अवगत ही हैं कि 14 मार्च के एक आदेश के माध्यम से राजभाषा विभाग ने संवर्ग के 158 सहायक निदेशकों को रिवर्ट किया है। एसोसिएशन इस आदेश को लेकर चिंतित है क्योंकि यह खेदजनक और मनोबल को तोड़ने वाला है। संभवतः, अधिकतर सदस्य आदेश की इस पृष्ठभूमि से परिचित हैं कि यह प्रकरण आवश्यक मंज़ूरी लिए बगैर तदर्थता अवधि बढाने से संबंधित है। श्रीमती रंजना माहेश्वरी (नागपुर स्थित कार्यालय में सहायक निदेशक) को उनके कार्यालय ने सेवानिवृत्ति से कुछ ही समय पहले यह कहते हुए रिवर्ट कर दिया था कि एक वर्ष बाद इस पद पर उनकी तदर्थता बनाए रखने के लिए मंज़ूरी नहीं ली गई है। श्रीमती माहेश्वरी से रिफंड लेने की प्रक्रिया भी शुरु कर दी गई। इसे देखते हुए श्रीमती माहेश्वरी इस दलील के साथ न्यायालय गईं थीं कि उनसे कनिष्ठ अधिकारी अभी भी सहायक निदेशक के तौर पर किस प्रकार तैनात हैं जबकि उनकी भी तदर्थता अवधि नहीं बढाई गई है। मामले पर राजभाषा विभाग की राय मांगी गई तो विभाग ने सभी सहायक निदेशकों (पूर्व में नियमित हो चुके सहायक निदेशकों सहित) की तदर्थता अवधि को बढ़ाने के लिए फाइल डीओपीटी भेजी किंतु डीओपीटी ने इस पर नकारात्मक रुख अपनाया। एसोसिएशन के लगातार दबाव बनाए रखने को देखते हुए, डीओपीटी के मना करने के बावजूद, राजभाषा विभाग ने यह मामला माननीय गृहमंत्री के पास भेजा जहां से यह प्रस्ताव पुनः डीओपीटी को विचारार्थ भेजा जाना था। किंतु माननीय गृह मंत्री ने भी सहमति प्रदान नहीं की। इसलिए, श्रीमती रंजना माहेश्वरी के मामले में कोर्ट में अपना पक्ष (नकारात्मक) रखने के लिए यह पृष्ठभूमि तैयार की गई है/आदेश जारी किया गया है।

एसोसिएशन सभी तदर्थ सहायक निदेशकों के हितों की रक्षा के लिए वचनबद्ध है। इसलिए, इस मामले को कोर्ट में ले जाने  की पूरी तैयारी है ताकि स्थगन लिया जा सके।  कल ही सहायक निदेशक श्री डी.पी. मिश्रा जी ने भी व्यक्तिगत क्षमता में, वकील के माध्यम से विभाग को एक नोटिस भिजवाया है। इस मुद्दे पर संवर्ग के साथियों को एकजुट रहने की आवश्यकता है।

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